Bandar aur magarmach ki kahani:- अगर आप bandar aur magarmach ki kahani पढ़ने आये हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आये हो इस लेख मे मैं आपको अपने तरीके से bandar aur magarmach ki kahani सुनाऊंगा ।
मगरमच्छ की पत्नी को सिर्फ मांसाहारी ही खाना पसंद था, मगरमच्छ की पत्नी किस्से भी ज्यादा घुल मिलकर नही रहती थी वह थोड़ी गर्म मिजाज की थी वह बात बात पर घुस्सा हो जाती थी ।
मगरमच्छ अपनी पत्नी से बहुत डरता था, इसलिए उसकी हर बात मानता था, वह अपनी पत्नी के लिए पानी के अंदर ही सीकर करता था क्यूँ की मगरमच्छ बहुत बूढ़ा हो गया था और उन सीकर को पकड़कर मगरमच्छ अपनी पत्नी के पास लेकर जाता था ।
एक दिन मगरमच्छ पानी के अंदर सीकार करने गया लेकीन उसके हाथ कोई भी नही आया मगरमच्छ जब भी सीकर करने जाता उसके हाथ से वह सीकर बच के निकल जाता ।
सीकर करते करते मगरमच्छ को बहुत भूख भी लग गई थी, और वह पानी के बाहर निकलकर एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया मगरमच्छ ने पेड़ के ऊपर एक बंदर कुछ खाते हुए देखा ।
मगरमच्छ ने उस बंदर से पूछा की क्या खा रहे हो भाई बनादर ने कहा की यह जामुन है बहुत ही मीठा और स्वदिष्ट होता है मगरमच्छ ने बंदर को कहा की क्या तुम मुझे इस जामुन में से थोड़ा से दे सकते हो मुझे बहुत ही बूख लगी है मैन कब से कुछ नही खाया है ।
बंदर ने कहा ठीक है, और उन जामुन में से बंदर ने उस मगरमच्छ को दे दिया जब मगरमच्छ ने उन जामुन को खाया तो उसे वह जामुन बहुत ही पसंद आया मगरमच्छ ने और जामुन उस बंदर से मंगा उस बंदर ने और जामुन तोड़कर उस मगरमच्छ दे दिया ।
मगरमच्छ ने बंदर को कहा की क्या तुम मेरे मित्र बनोगे बंदर ने उसके प्रस्ताव को सुनते ही कहा की नही तुम मुझे अगर अपने मित्र का झांसा देकर खा गए तो ।
मगरमच्छ ने कहा की मुझ पर भरोसा रखो मैं तुम्हे नही खाऊंगा मैं अपने मित्रों के ऊपर कभी भी हमला नही करता हूँ या फिर उन्हें हानि नही पहुंचता हूँ बंदर ने उसकी बात मान ली और उसकी मित्रता को स्वीकार कर लिया ।
फिर बंदर ने उस मगरमच्छ से कहा की क्या तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर इस नदी की शैर करवावोगे मगरमच्छ ने कहा ठीक है, फिर बंदर उस झाड़ पे से कूद के उस मगरमच्छ के पीठ पर जा बैठा और नदी की शैर करने लगा ।
बंदर ने मगरमच्छ के पीठ पर बैठकर पानी के अंदर खूब मस्ती की फिर बाद में बंदर ने कहा की मुझे अब अपने पेड़ पर ले चलो मैं अब थक गया हूँ अब मैं पेड़ पर जाकर आराम करूँगा ।
मगरमच्छ ने बंदर को पेड़ के पास लेजाकर छोड़ दिया बंदर मगरमच्छ के पीठ पे से खुद के उन झाड़ियों के ऊपर जा बैठा मगरमच्छ ने उस बंदर से जामुन मांगे अपनी बीवी के लिए बंदर ने जामुन दे दिया ।
मगरमच्छ उन जामुन को ले जाकर अपनी बीवी को दिया उसकी बीवी को वह जामुन बहुत पसंद आया उसकी बीवी ने उससे पूछा की यह जामुन तुम कहाँ से लेकर आये हो ।
फिर मगरमच्छ ने उसे अभी तक की सारी घटना बताई मगरमच्छ की बीवी ने कहा की कल तुम उस बंदर को यह लेकर आना मुझे जनवरो का मास बहुत पसंद है और खास तौर पे उनका दिल तो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, यह रोज रोज की मछलियां खाकर मैं पक्क गई हूँ ।
तुम मुझे उसका दिल लेकर दो मगरमच्छ ने कहा की नही अगर मैन उसका दिल निकाल तो वह मर जाएगा और वह मेरा मित्र है मैं उसके साथ ऐसा कभी भी नाहीं करूँगा मैन उसे वचन दिया है,
मगरमच्छ की बीवी उसके ऊपर भड़क गई और उसके ऊपर घुस्सा करने लगी कहा की मैं कुछ भी नही सुन्ना चाहती हूँ मुझे बस उसका दिल चाहिए अगर तुम उसका दिल कल लेकर नही आये तो देखलेना ।
मगरमच्छ अपनी बीवी के घुस्से से डर गया और कहा की ठीक है उसका दिल कल मैं तुम्हारे लिए लेकर आउँगा मगरमच्छ अगेले सुबह वापस उस जामुन के पेड़ के पास गया और उस बंदर से बोला ।
सुनो मित्र आज मेरी बीवी का जन्मदिन है उसने मेरे सारे मित्रो को अपने जन्मदिन पर बुलाया है और खास तौर पे तुम्हे तुमने कल जो जामुन दिया था वह जामुन उसे बहुत पसंद आया इसलिए तुम्हे उस्ने खास बुलाया है अपने जन्मदिन पर ।
बंदर ने उसकी बाते मान ली और उसके साथ जाने के लिए राजी होगया बंदर उस झाड़ पे से कूद कर मगरमच्छ के पीठ पर बैठ गया और उसके साथ जाने लगा मगरमच्छ ने सोच की बंदर को मारने से पहले सारी बात बता देता हूँ ।
वह मेरी पीठ पे से कूद के कहाँ जाएगा चारो तरफ पानी ही पानी है मगरमच्छ ने बंदर से कहा की मित्र मैन तुम्हे झूठ बोला मेरी बीवी का जन्मदिन नही है मेरी बीवी तुम्हारे दिल को खाना चाहती है ।
इसलिए तुम्हे मैं लेकर जा रहा हूँ, बंदर बहुत ही चतुर था बंदर ने कहा की अरे मित्र पहले बोलना था मेरा दिल उस पेड़ पर ही राह गया तुम वापस चलो उस दिल को लेकर आते हैं ।
मगरमच्छ बंदर की बातों में आगया और उसे उस पेड़ के पास वापस लेकर गया बंदर उसकी पीठ पे से कूद के फवर्ण उस पेड़ पर चढ़ गया और उस मगरमच्छ को कहा की अरे मूर्ख मगरमच्छ मेरा दिल मेरे सीने में ही है ।
मैंने तुम्हे मूर्ख बनाया और तुम मूर्ख बन भी गए तुम मित्रता के काबिल नही हो तुमने कहा था की तुम मुझे कभी हानि नही पहुँचावोगे और तुम मुझे मारने के लिए लेके जा रहे थे ।
चले जाव यहाँ से और कभी भी यहां लौटकर नही आना मगरमच्छ वहाँ से चुप चाप चला गया ।
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सिख:- हमे इस कहानी से यह सिख मिलती है कि हमे मुसिब्बत के वक्त भी अपने दिमाग का इस्तिमाल करनी चाहिए ना कि घबराना चाहिए
तो मित्रो कैसी लगी आपको यह कहानी मुझे कमेंट कर के जरूर बताना और अगर आपको इसी तरह और कहानिया पढ़नी है तो हमारे वेबसाइट पर और भी कहानिया उपलब्ध है आप उन्हें पढ़ सकते हैं।
बंदर और मगरमच्छ की कहानी bandar aur magarmach ki kahani
बहुत यमय पहले की बात है, एक नदी पति पत्नी रहते थे, वह पति पत्नी मगरमच्छ थे मगरमच्छ हमेसा अपनी पत्नी को खुस रखने की कोसीस में रहता था वह उसे उदास नही देकह सकता था ।मगरमच्छ की पत्नी को सिर्फ मांसाहारी ही खाना पसंद था, मगरमच्छ की पत्नी किस्से भी ज्यादा घुल मिलकर नही रहती थी वह थोड़ी गर्म मिजाज की थी वह बात बात पर घुस्सा हो जाती थी ।
मगरमच्छ अपनी पत्नी से बहुत डरता था, इसलिए उसकी हर बात मानता था, वह अपनी पत्नी के लिए पानी के अंदर ही सीकर करता था क्यूँ की मगरमच्छ बहुत बूढ़ा हो गया था और उन सीकर को पकड़कर मगरमच्छ अपनी पत्नी के पास लेकर जाता था ।
एक दिन मगरमच्छ पानी के अंदर सीकार करने गया लेकीन उसके हाथ कोई भी नही आया मगरमच्छ जब भी सीकर करने जाता उसके हाथ से वह सीकर बच के निकल जाता ।
सीकर करते करते मगरमच्छ को बहुत भूख भी लग गई थी, और वह पानी के बाहर निकलकर एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया मगरमच्छ ने पेड़ के ऊपर एक बंदर कुछ खाते हुए देखा ।
मगरमच्छ ने उस बंदर से पूछा की क्या खा रहे हो भाई बनादर ने कहा की यह जामुन है बहुत ही मीठा और स्वदिष्ट होता है मगरमच्छ ने बंदर को कहा की क्या तुम मुझे इस जामुन में से थोड़ा से दे सकते हो मुझे बहुत ही बूख लगी है मैन कब से कुछ नही खाया है ।
बंदर ने कहा ठीक है, और उन जामुन में से बंदर ने उस मगरमच्छ को दे दिया जब मगरमच्छ ने उन जामुन को खाया तो उसे वह जामुन बहुत ही पसंद आया मगरमच्छ ने और जामुन उस बंदर से मंगा उस बंदर ने और जामुन तोड़कर उस मगरमच्छ दे दिया ।
मगरमच्छ ने बंदर को कहा की क्या तुम मेरे मित्र बनोगे बंदर ने उसके प्रस्ताव को सुनते ही कहा की नही तुम मुझे अगर अपने मित्र का झांसा देकर खा गए तो ।
मगरमच्छ ने कहा की मुझ पर भरोसा रखो मैं तुम्हे नही खाऊंगा मैं अपने मित्रों के ऊपर कभी भी हमला नही करता हूँ या फिर उन्हें हानि नही पहुंचता हूँ बंदर ने उसकी बात मान ली और उसकी मित्रता को स्वीकार कर लिया ।
फिर बंदर ने उस मगरमच्छ से कहा की क्या तुम मुझे अपनी पीठ पर बिठाकर इस नदी की शैर करवावोगे मगरमच्छ ने कहा ठीक है, फिर बंदर उस झाड़ पे से कूद के उस मगरमच्छ के पीठ पर जा बैठा और नदी की शैर करने लगा ।
बंदर ने मगरमच्छ के पीठ पर बैठकर पानी के अंदर खूब मस्ती की फिर बाद में बंदर ने कहा की मुझे अब अपने पेड़ पर ले चलो मैं अब थक गया हूँ अब मैं पेड़ पर जाकर आराम करूँगा ।
मगरमच्छ ने बंदर को पेड़ के पास लेजाकर छोड़ दिया बंदर मगरमच्छ के पीठ पे से खुद के उन झाड़ियों के ऊपर जा बैठा मगरमच्छ ने उस बंदर से जामुन मांगे अपनी बीवी के लिए बंदर ने जामुन दे दिया ।
मगरमच्छ उन जामुन को ले जाकर अपनी बीवी को दिया उसकी बीवी को वह जामुन बहुत पसंद आया उसकी बीवी ने उससे पूछा की यह जामुन तुम कहाँ से लेकर आये हो ।
फिर मगरमच्छ ने उसे अभी तक की सारी घटना बताई मगरमच्छ की बीवी ने कहा की कल तुम उस बंदर को यह लेकर आना मुझे जनवरो का मास बहुत पसंद है और खास तौर पे उनका दिल तो मुझे सबसे ज्यादा पसंद है, यह रोज रोज की मछलियां खाकर मैं पक्क गई हूँ ।
तुम मुझे उसका दिल लेकर दो मगरमच्छ ने कहा की नही अगर मैन उसका दिल निकाल तो वह मर जाएगा और वह मेरा मित्र है मैं उसके साथ ऐसा कभी भी नाहीं करूँगा मैन उसे वचन दिया है,
मगरमच्छ की बीवी उसके ऊपर भड़क गई और उसके ऊपर घुस्सा करने लगी कहा की मैं कुछ भी नही सुन्ना चाहती हूँ मुझे बस उसका दिल चाहिए अगर तुम उसका दिल कल लेकर नही आये तो देखलेना ।
मगरमच्छ अपनी बीवी के घुस्से से डर गया और कहा की ठीक है उसका दिल कल मैं तुम्हारे लिए लेकर आउँगा मगरमच्छ अगेले सुबह वापस उस जामुन के पेड़ के पास गया और उस बंदर से बोला ।
सुनो मित्र आज मेरी बीवी का जन्मदिन है उसने मेरे सारे मित्रो को अपने जन्मदिन पर बुलाया है और खास तौर पे तुम्हे तुमने कल जो जामुन दिया था वह जामुन उसे बहुत पसंद आया इसलिए तुम्हे उस्ने खास बुलाया है अपने जन्मदिन पर ।
बंदर ने उसकी बाते मान ली और उसके साथ जाने के लिए राजी होगया बंदर उस झाड़ पे से कूद कर मगरमच्छ के पीठ पर बैठ गया और उसके साथ जाने लगा मगरमच्छ ने सोच की बंदर को मारने से पहले सारी बात बता देता हूँ ।
वह मेरी पीठ पे से कूद के कहाँ जाएगा चारो तरफ पानी ही पानी है मगरमच्छ ने बंदर से कहा की मित्र मैन तुम्हे झूठ बोला मेरी बीवी का जन्मदिन नही है मेरी बीवी तुम्हारे दिल को खाना चाहती है ।
इसलिए तुम्हे मैं लेकर जा रहा हूँ, बंदर बहुत ही चतुर था बंदर ने कहा की अरे मित्र पहले बोलना था मेरा दिल उस पेड़ पर ही राह गया तुम वापस चलो उस दिल को लेकर आते हैं ।
मगरमच्छ बंदर की बातों में आगया और उसे उस पेड़ के पास वापस लेकर गया बंदर उसकी पीठ पे से कूद के फवर्ण उस पेड़ पर चढ़ गया और उस मगरमच्छ को कहा की अरे मूर्ख मगरमच्छ मेरा दिल मेरे सीने में ही है ।
मैंने तुम्हे मूर्ख बनाया और तुम मूर्ख बन भी गए तुम मित्रता के काबिल नही हो तुमने कहा था की तुम मुझे कभी हानि नही पहुँचावोगे और तुम मुझे मारने के लिए लेके जा रहे थे ।
चले जाव यहाँ से और कभी भी यहां लौटकर नही आना मगरमच्छ वहाँ से चुप चाप चला गया ।
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तो मित्रो कैसी लगी आपको यह कहानी मुझे कमेंट कर के जरूर बताना और अगर आपको इसी तरह और कहानिया पढ़नी है तो हमारे वेबसाइट पर और भी कहानिया उपलब्ध है आप उन्हें पढ़ सकते हैं।