lalchi mithaiwala hindi kahaniya
एक गांव में मेवालाल नामका मिठाईवाला रहता था, उसकी दुकान की मिठाईया लोगो को बहुत भाती थी मेवालाल के पास दूर दराज के गांव के लोग भी मिठाई लेने आता थे किसी के भी घर में कोई भी सुभ कार्य होता था तो वह मेवालाल के दुकान से ही मिठाई लेके जाता था ।
और क्यूँ न लेके जाए मेवालाल हमेसा ताजी मिठाईया बनाता अपनी दुकान पे और वह सारि मिठाईया एक दिन में ही बिक जाती थी मेवालाल भी इससे बहुत खुस था ।
दिन पे दिन मेवालाल प्रसिद्ध होने लगा जितना वह प्रसिद्ध होने लगा उतना ही वह धनवान होते गया ( लेकीन कहते हैं न इंसान की ख़्वाईसे कभी भी पूरी नही होती है ) मेवलाल कम मुनाफे में मिठाईया बेचता था इसलिए उसकी मिठाईया ज्यादा बिकती थी ।
मेवालाल एक दिन सोचने लगा की क्यूँ न मिठाइयों का दाम बढ़ा दिया जाए इससे मुझे ज्यादा मुनाफा होगा, मेवालाल ने अपनी मिठाइयों का दाम बढ़ा दिया लेकीन फिर भी लोग उसके दुकान से मिठाइया लेते थे, क्यूंकि उसकी मिठाइये स्वादिष्ट होती थी और उन मिठाइयों में किसी भी प्रकार का मिलावट नही होता था ।
धीरे धीरे मेवलाल के अंदर और लालच बढ़ने लगा ( वह कहते है न लालच बुरु बल है, और विनाश काले विपरीत बुद्धि ) यह दोनों मेवालाल के अंदर आगया था वह लालची के साथ साथ अपनी बुद्धि भी गवा बैठा था ।
वह अब मिठाइवो में मिलावट करने लगा और उन मिठाइयों को ज्यादा दाम में बेचता था अब उसकी मिठाइया बेस्वाद होती थी उसकी मिठाइये अब लोगो को ज्यादा नही भाथी थी धीरे-धीरे उसके दुकान पे ग्राहक आना काम होगये और एक दिन ऐसा आया की उसके दुकान पे उसकी मिठाइयों को लेने कोई नही आता था ।
देखते देखते एक महीना बिता फिर दो महीना फिर भी उसके दुकान पे कोई भी मिठाई लेने नही आता था मेवालाल ने अपनी मिठाइयों को पहले जैसा बेचना सुरु किया फिर भी उसके दुकान पे मिठाई लेने कोई नही आता मेवलाल ने फिर अपनी मिठाई का दुकान बंद करके खेती बड़ी करने लगा, मेवालाल को उसके लालच का फल मिल चुका था ।
मन की बात:- अगर आप भी मेवालाल के रास्ते पे हैं, तो अपना रास्ता तुरंत बदल दीजिये ऐसा न हो की आप भी मेवालाल की तरह खेती बाड़ी करने लगे